कविताऐं


मैं खरीदता हूं
खुशियां
बेचोगे क्या..
🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂

मैं दरख्तों से कहता था 
अपने दुख सुख की बातें
एक रात किसी ने
सारे दरख़्त ही काट दिए
कितना मतलबी हो गया है
इंसान.....
☺️☺️☺️☺️☺️☺️☺️☺️🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂

ए जिंदगी
मत खेल मेरी खुशियों से
एक दिन तो 
तुझे भी हारना ही पड़ेगा....
🙂🙂🙂🙂🙂😁😁😁😁😁😁😁😁😁

जिंदगी कोरी डायरी सी
और मैं कलम की स्याही सा..
स्याही खत्म होती रही
डायरी है कि भरती नहीं...
😍😍🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂😁😁😁😁

आओ दोस्तो 
लौट जायें 
बचपन के उन दिनों में
जहां खेलते थे
गिल्ली डंडा
सितोलिया
राउंडर बैट
रिंगबाल
खो खो
कबड्डी
छुप्पम छुपाई
लंगड़ी टांग
आंख मिचौली
ना जाने क्या क्या
वो साथ बैठ के पढ़ना......
साईकल चलाना
नदी में नहाना
खेत में घूमना
रामलीला देखना
परीक्षा के दौरान
मंदिर मंदिर भागना
प्रशाद बोलना
मास्टर जी की पिटाई
ग्राउंड में दौड़ाई
कक्षा में झाड़ू लगाना
यूनिफार्म में स्कूल जाना.......
वो डंबल परेड़
वो नाटक
वो अंताक्षरी
आजभी याद आती है
कहाँ वो हरे भरे मैदान
आज गलियों में खो गए
और हम आज 
बचपन से दूर
कहाँ पहुंच गए...
चलो फिर से स्कूल चलें हम
🙂🙂🙂🙂🎂🎂🎂🎂🙂🙂🙂😊😊😊

काली स्याह रात, 
टिमटिमाते तारे
अकेला चांद ...
चांद को क्या मालूम 
उसे चाहता है कोई चकोर ...
🙂🙂🙂🙂🙂😁😁😁😁😁😁😁😁


कविताऐं : ये पल

खेलघंटी और खोमचे वाला
आज भी याद आते हैं..
क्लास से कुछ पल आराम
और स्वाद का आनंद..

आज वो खोमचे वाला 
बर्गर, पीज़ा और सूप
की कैंटीन में बदल गया...

वो पल अब कभी
लौट के ना आएंगे...
😊😊😊😊🙂🙂🙂😁😁😁😁😁😁


ये जीवन है
इस जीवन का
यही है रंग रूप
थोड़े गम हैं
थोड़ी खुशियां है

तो क्यों ना...

आओ मिल जाएं हम 
सुमन और सुगंध की तरह ....

😊😊😊😊😊🤥🙂🙂🤥🤥🤥🤥🤥🤥🤥


प्रातःकाल
सुख की बेला
अंधकार खो गया
चिड़ियाँ भी गायीं
जग सुंदर हो गया
ठंडी-ठंडी बयार
मस्ताना मौसम
है प्रभु आपकी रचना
सुन्दर अलबेली है....
😍😍🙂🙂🙂🙂🙂🙂😁😁😁😁😁😁😁

यादों के रिश्ते भी
अजीब होते हैं
खुद तन्हा रहते है 
मगर
दिल को कभी
तन्हा रहने नहीं देते...
🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂🙂🤥🤥🤥🤥🤥🤥